श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
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कदा निलिंपनिर्झरी निकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
Shiva Tandava or the celestial dance of Lord Siva is extremely thrilling and charming, exquisitely graceful in pose and rhythm and intensely piercing in result.
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॥ इति रावणकृतं शिव ताण्डव स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है,
नवीनमेघमंडलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है,